5 Simple Techniques For shiv chalisa lyrics aarti

शिवजी की पूजा मूर्ति तथा शिवलिंग दोनों रूपों में की जाती है शिव के गले में नाग देवता विराजमान करते हैं तथा उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल होता है.

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

धन निर्धन को देत सदाहीं । जो कोई जांचे वो फल पाहीं ॥

अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

अर्थ- अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।

लिङ्गाष्टकम्

वेद नाम महिमा तव गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

शंकर सुवन केसरी नंदन। website तेज प्रताप महा जग वंदन।।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ।

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15

Comments on “5 Simple Techniques For shiv chalisa lyrics aarti”

Leave a Reply

Gravatar